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Pankaj Kumar

Thriller

4.3  

Pankaj Kumar

Thriller

क्या मालूम

क्या मालूम

1 min
414


हर वक़्त औरों को हूँ देखता

उनमें  हूँ कुछ ढूँढता

ना जाने क्या हूँ चाहता 

जो मांगा था वो मिल गया

सबसे कब ये कहूँगा 

क्या मालूम ...


देखता हूँ हँसी औरों की

महसूस करता हूँ खुशी औरों की 

जो बेमतलब है मेरे लिए

सुनता हूँ बातें औरों की

अपने दिल की कब कहूँगा 

क्या मालूम ...


खिले खिले से चेहरे है

लगता है ये सब बहरे है

ना गूँज किसी आवाज़ की

ना फ़िक्र कल और आज की

मैं कब ऐसे जीयूंगा 

क्या मालूम ...


छिपे हुए आँसू आँखों में

पलकों पे जो आते नहीं

कुछ ख़्वाब है अधूरे से जो

जागने पर भी जाते नहीं

पूरे कब इनको करूँगा 

क्या मालूम ...



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