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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational Thriller

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational Thriller

कोई भी मौसम

कोई भी मौसम

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निज जीवन में सदा ही चाहते,

अबाधित खुशी तुम और हम।

सारे गम रहें कोसों हमसे दूर,

हर मौसम हो प्यार का मौसम।


ग़म हो मनाना या हो भुलाना,

हर हाल में चाहिए अकेलापन।

हानिकारक हार्मोन्स का स्रवण,

देगा अवसाद जो ग़मग़ीन है मन।

क्यों न गम मिटाएं? खुशियां बांटें,

सदा खुश रहें मिल जुलकर हम।


निज जीवन में सदा ही चाहते,

अबाधित खुशी तुम और हम।

सारे गम रहें कोसों हमसे दूर,

हर मौसम हो प्यार का मौसम।


सुख-दुख हैं हर एक जीवन के,

अनादिकाल से अविभाज्य हिस्से।

वास्तविक जीवन में प्रत्यक्ष दिखते,

दिखाते हैं सारे

काल्पनिक भी किस्से।

धूप-छांव से अस्थाई होते हैं सुख-दुख,

ग़म-खुशियों के साथ ही जीते हैं हम।


निज जीवन में सदा ही चाहते,

अबाधित खुशी तुम और हम।

सारे गम रहें कोसों हमसे दूर,

हर मौसम हो प्यार का मौसम।



ग़मों से न घबराएं किंचित भी,

कभी न मिटेंगे जीवन के झमेले।

कपूर सी उड़ जाती हैं खुशियां,

रहेंगे अनंत ग़म जो रहेंगे अकेले।

बांटकर कई गुना बढ़ाएं खुशियां ,

और बॅंटाकर के मिटाएं हर ग़म।


निज जीवन में सदा ही चाहते,

अबाधित खुशी तुम और हम।

सारे गम रहें कोसों हमसे दूर,

हर मौसम हो प्यार का मौसम।


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