क्या लिखूं...?
क्या लिखूं...?
शोना बाबू के थाना न थाने पर चिंतित जवानी लिखूं?
या भूखे पेट मेहनत कर आईएएस बनते युवाओं की रवानी लिखूं?
जरूरतमंदों के आंखों का पानी लिखूं?
या बेरोजगारों की मजबूरी की कहानी लिखूं?
मासूम हाथों में खनकते सिक्कों की गिनती लिखूं?
या बच्चों के भविष्य में चिंतित माताओं की विनती लिखूं?
कलमकारों की शान्ति को दुनिया का कहर लिखूं?
या बॉलीवुड में फैलती अश्लीलता को धीमा ज़हर लिखूं?
युवा नेताओं की सेल्फी में फुर्सत के वो पल लिखूं?
या शोषण करवाते इन युवाओं का कल लिखूं?
बाबा की चाय वो दीवानी लिखूं ?
दादी के माल पुए पर कहनी लिखूं
बता दो आखिर क्या लिखूं...
डिप्रेशन में जाते नन्हे मुन्नों की 'मन की बात' लिखूं?
या सिगरेट के धुंए में सुलगते युवाओं के 'तन की बात' लिखूं?
लीवर जलाते फास्ट फूड के ठेलो को ज़रूरी लिखूं?
या ठेला लगाने को इन गरीबों की मजबूरी लिखूं?
मोबाइल के नशे में बच्चों का भविष्य असुरक्षित लिखूं?
या मोबाइल में ही शैक्षिक भविष्य सुरक्षित लिखूं?
बलात्कार सहती उन नन्ही बेटियों का दर्द लिखूं
या... क्या इन हैवानों को भी कागज़ों में मर्द लिखूं?
दुपट्टे में रहती बहनों की सोच को पुरानी लिखूं?
या रील्स बनाते लाल पीलों को अपडेटेड जवानी लिखूं?
देश को बाहरियों से सुरक्षा देती उस वर्दी को लिखूं?
या देश के अंदर पनपे आतंकियों की बे दर्दी को लिखूं?
तंबाकू प्रचार से करोड़ों कमाते उन शक्ल वालों को लिखूं?
या कैंसर में भी जान बचाते इन अक्ल वालों को लिखूं?
समाजसेवी नेताओं की कोठियों की ऊंचाई लिखूं?
या महंगे डीजल से गरीब किसानों के खेतों की सिंचाई लिखूं?
मन हो रहा, लेकिन समझ ही नहीं आ रहा की आखिर
लिखूं तो
क्या लिखूं?