क्या करें औलाद है
क्या करें औलाद है
बेटियाँ किसी को नहीं चाहिये
सभी को बहु चाहिए
बेटियों का कोई नहीं
करता
इंतजार
सब बेटियों का करते
दुत्कार
और बहुओं का
करते हैं पलकें
बिछाकर
इंतजार
आखिर क्यों किसी को
नहीं है बेटियों से प्यार
कोई नहीं करता उनका
इन्तजार
सब की मुँह माँगी दुआ नहीं
बिन माँगी मुराद है
जो एक बोझ से ज्यादा कुछ नहीं
पर क्या करें औलाद है!
