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Phool Singh

Tragedy Crime

3  

Phool Singh

Tragedy Crime

क्या खता थी मेरी

क्या खता थी मेरी

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क्या खता थी मेरी जो

कोख से मुझको गिरा दिया 

जन्म लेने की इच्छा मेरी 

जन्म से पूर्व ही मार दिया ।।


जाँच कराना लिंग की, जन्म से पूर्व ही 

किसनें तुम्हें अधिकार दिया 

सितारा बन मैं चमकती 

मौत के घाट क्यूँ उतार दिया ।।


पुत्र होने पर नाचते-गाते 

जन्म ना मुझको को लेने दिया 

दोगलापन ये है जगत का 

नियति ने क्यूँ बर्दाश्त किया ।।


कहने को तो लक्ष्मी हूँ, मैं  

ना लड़की तक का दर्जा दिया 

युग बदल गए सोच बदल गई 

अब भी लड़का-लड़की में क्यूँ भेद किया ।।


मेरे बिना ये जग चले ना 

क्यूँ ना इस पर ध्यान दिया 

एक सिक्के के दो है पहलू 

क्यूँ दोनों का ना सम्मान किया ।।


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