क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया
सोचती हूँ कभी कभी बैठकर
क्या है जिंदगी का मंजर
क्या पाया मैंने यहाँ आकर
या क्या खो देती, यहाँ ना आकर
सुना है जिंदगी खूबसूरत होती है
मृत्यु बहुत है भयंकर
फिर भी लौटकर नहीं आया कोई
मृत्यु को छोड़कर....
कुछ तो ख़ास होगा
जो मृत्यु के पास होगा
बरना खूबसूरत जिंदगी को यूँ छोड़कर
हमेशा मृत्यु के पास, ना रहेगा कोई
काश समझ पाती
ये दुनियां का भभंडर
अजीब है ये जीवन मृत्यु का मंजर
पार करना चाहती हूँ
ये जिंदगी का समंदर
ये जिंदगी का समंदर.........