क्या कभी ऐसा भी हुआ था..?
क्या कभी ऐसा भी हुआ था..?
क्या किसी के ज़िन्दगी में
कभी ऐसा भी हुआ था।
कश्ती को किनारा देने निकले तो
जैसे पानी ख़त्म होने लगा था।
ज़िन्दगी को प्यार से थोड़ा सहलाने निकले
तो जाने कहा से भुचाल आने लगा था।
खुश होने का एक मौका ही मिला था तो जैसे
नए दुख अपना पाँव ऊपर करने लगा था।
क्या किसी के ज़िन्दगी में कभी
ऐसा भी हुआ था।
क्या कभी रोते हुए,
पुरानी यादों ने थोड़ा और रुलाया था।
क्या मंज़िल के आखरी कदम पर
पाँव यूँ ही लड़खड़ाया था।
क्या कभी अचानक वर्षों पुराना
दोस्त तुमने खोया था।
क्या किसी की ज़िन्दगी में
कभी ऐसा भी हुआ था।
अगर इन सब सवालों का जवाब हाँ में है
तो हर रोज़, हर वक़्त,
किसी न किसी के साथ
शायद ऐसा ही हुआ था।।
