क्या हूँ मैं
क्या हूँ मैं
क्या हूँ मैं
एक शीशा
जिसे जब दिल करे तोड़ दिया जाए
क्या हूँ मैं
एक तालाब
जिसमें हर वक्त हलचल होती रहें
क्या हूँ मैं
एक किताब
जिसका जब दिल करे वो पन्ने फाड़ कर चले जाए
क्या हूँ मैं
एक कलम
जिसका जब दिल करे मेरी जिंदगी में आए
और लिख कर चला जाए।
