क्या हम आजाद हैं?
क्या हम आजाद हैं?
भारत के इतिहास में स्वतन्त्रता के संग्राम में
सैंकड़ों हुयी कुर्बानियां समर भूमि के ग्राम में।।
मर मिटे योद्धा कर अपना सब कुछ अर्पण
फिर भी गुलाम रह गये देकर अपना समर्पण।।
विधवा हुयी नारियां उजड़ा उनका चमन
फिर भी रुक ना पाया अंग्रेजों का यह दमन।।
अंग्रेज गये पर छोड गये अपने पगों के निशान
पश्चिमी रंग में रंगा भारत लोग भूले अपनी पहचान।।
भ्र्ष्ट नेताओं के चंगुल में राजनीति की दलदल में
धार्मिकता व वर्ग भेद की होने वाली हलचल में।।
सुनने में अच्छा लगता है कि अब हम आजाद है
आँखें खोलें पता चलेगा कि अब भी हम बर्बाद हैं।।
कि अब भी हम गुलाम हैं।