क्या है ये जिंदगी
क्या है ये जिंदगी
कोई मुझको समझाए क्या है ये जिंदगी,
क्यों सभी दर्दो की दवा है ये जिंदगी।
मैं जानता हूँ ये मंज़िल तो नहीं है,
फिर किसके घर का रास्ता है ये जिंदगी।
कभी चाँदनी सी शीतल भी है ये,
कभी सूर्य किरणों की ज्वाला है ये जिंदगी।
कभी तो बसंत की कोमल हवा सी,
कभी पतझड़ का सूखा कुआँ है ये जिंदगी।
कभी तो यमुना सी शांत भी ये है,
कभी तो गंगा का तेज़ प्रवाह है ये जिंदगी।
नर्मदा का सुन्दर घाट कभी तो,
सरस्वती सी कभी लापता है ये जिंदगी।
कभी माँ की ममता सी कोमल भी ये है,
तो कभी पिता के कठोर जज्बात है ये जिंदगी
।
कभी दादा-दादी के आशीर्वादों सी,
तो कभी मंदिर का मीठा प्रसाद है ये जिंदगी।
कोई मुझको समझाए क्या है ये जिंदगी।।