कविता
कविता
सारे जगत की रक्षा करने वाली
माँ दुर्गा
आप जननी हैं
जगत की पालन हार हैं
आपकी आज्ञा के बगैर
पत्ता भी नही हिलता
तब इस देश मे नारी
इतनी असुरक्षित क्यूँ है
क्यों बढ़ रहे हैं
इस कदर अत्याचार
जिस देश मे नारी को
पूजा जाता है
वहाँ कोमल अबोध
बच्चियों को कुचला जा रहा है
गंदी नजर से देखा जा रहा है
हैवानियत का नंगा नाच हो रहा है
और आप चुप हैं ?
कमाल है
अब तक तो आपकी कटार से
उन पापियों के सिर
धड़ से अलग हो जाने चाहिए थे
अपने क्रोध के दावानल से
ऐसी अग्नि प्रज्वलित करो
माता
की इस तरह की विकृत मानसिकता
के लोग
नारी जाति का अपमान
यानी गंदी नजर
डालने से पूर्व
जलकर भस्म हो जाए ।