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कविता स्वतंत्रता दिवस

कविता स्वतंत्रता दिवस

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स्वतंत्रता दिवस पर कविता

15 अगस्त दिन 47 का,

भारत के लिए सुनहरा था।

200 साल की गुलामी से,

मुक्त आज हुआ था।

हर जन ने खुशी मनाई थी,

हर जन में एक साहस था।

नई किरण जगने की उनको,

एक नई उम्मीद थी।

 नया भारत का सपना जो,

हर जन ने जो देखा था।

पूरा हुआ आज वह,

हर घर में मनी दिवाली थी।


लाल किले से जब,

 स्वतंत्रता की गूंज सुनाई दी।

नया भारत बनाने की,

एक नई मिसाल दी।


नमन करूं उन शहीदों को,

 जिन्होंने प्राण गवाएं थे।

भारत मां की जय बोल कर,

फांसी को गले लगाया था।

उन शहीदों की याद में,

मैं अपना शीश झुकाता हूं।


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