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Priyanka Gupta

Inspirational Others Children

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Priyanka Gupta

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कालीबाई ........वीर शिष्या

कालीबाई ........वीर शिष्या

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नानाभाई और सेंगाराम चलाते थे रास्तापाल गांव में एक पाठशाला,

उसी पाठशाला में पढ़ने वाली थी वह एक बहादुर बाला। 

महारावल के नाक के नीचे चलती थी यह पाठशाला,

फरमान भेजे थे महारावल ने कई कि बंद कर दो यह पाठशाला। 

विद्यादान को समझते थे सबसे बड़ा दान,

इसिलए नहीं माना महारावल का फरमान। 

महारावल को भी अपनी नाक थी प्यारी,

कैसे अदने से दो शिक्षक करते अपनी मनमानी। 

भेज दिए महारावल ने अपने कारिन्दे,

उन जालिमों ने जड़ दिए पाठशाला पर ताले।

नानाभाई और सेंगाराम ने नहीं किया इसे स्वीकार,

लाठियों की मार ने दबा दी उनके विरोध की आवाज़।

कमजोर नानाभाई सह न सके यह मार,

शिक्षा के खातिर त्याग दिए अपने प्राण। 

जालिमों को ज़रा भी तरस न आया,

अपनी गाड़ी के पीछे सेंगाराम को बाँध घुमाया। 

बहादुर छात्रा कालीबाई लौट रही थी खेतों से,

सिर पर उसके चारा और हाथों में हँसिया थी। 

अपने गुरुजनों का अपमान नहीं था उसे स्वीकार,

चारे के बोझ से खुद को मुक्त कर कालीबाई ने हँसिया से रस्सी पर किया वार। 

कालीबाई के वार से मुक्त हुए गुरु सेंगाराम,

जालिम कारिंदे कहाँ एक बालिका के सामने मानने वाले थे हार ।

कालीबाई पर तान दी थी जालिम कारिंदों ने रिवाल्वर,

गोली खाकर जमीन पर गिर गयी थी बाला वह बहादुर। 

जख्मी शरीर था लेकिन मन में अभी भी थी हिम्मत,

कारिंदों से डटकर करेंगे मुकाबला यही दे रही थी वह ग्रामीणों को सीख। 

ग्रामीणों ने किया कारिंदो का हिम्मत से मुकाबला,

महारावल के फरमान की नहीं हो पायी थी अनुपालना। 

शिक्षा का दीप सदा जलता रहे चाहे शरीर अपना रहे या न रहे,

शहीद कालीबाई भील अपने बलिदान से यह सन्देश दे गयी। 



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