प्रभात
प्रभात
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हुआ प्रभात फैला उजियारा
धरा पर डाला किरणों ने डेरा।
चमक उठा है,ये जग सारा
अन्धकार ने कर लिया किनारा।
खिल गयी है सारी कलियां
भ्रमर करते उस पर अठखेलियां ।
चिड़ियां चहके डाली-डाली
कुह-कुहू करे श्यामा मतवाली।
मन्द-मन्द बहे हवा सुहानी
खेत निहारे लेकर रंग धानी।
आलस सारा ये हर लेती
स्फूर्ति, ताजगी चैतन्यता आती।
सभी काम में मन है लगता
मेहनत जिनको प्यारा लगता।
उठ सुबह जो करोगे काम
वांछित फल और मिले मकाम।
प्रात:जगे न जो नर-नारी
लक्ष्य से चूके,घेरे बीमारी।।
