कविता का जन्म
कविता का जन्म
कविता का होना भी
एक अवसर
कब किस पर बन जाये
यह भी कमतर
इसका भी चयन
कवि पर निर्भर
कविता जन्म लेती
जब मिलता
उचित विषय
रचयिता करता उसका चयन
यदि हो कोई संसय
करता पहले उसका शमन
रचता कविता
जब ना होता कोई संसय
करता मन शांत तन शांत
विचारों का करता संचयन
सही शब्दों का करता चयन
कौन सा शब्द कहाँ उचित
यही करना होता पहले निश्चित
शब्दार्थ भी रखता अपना महत्त्व
नहीं तो होता अर्थ का अनर्थ
विषय को साधना भी
बनता अंत तक
जैसे ताल, सुर और
लय संगीत के लिए
वैसे ही विषय, शब्दऔर लय
होते कविता के लिए
कविता इठलाती, बलखाती, मदमस्त,
लहराती चलती पहुँचती जब श्रोता
और पाठक के पास
करती वरण नहीं होता क्षरण
देती अपना सर्वस्व
रचयिता के अनुसार
कविता के होते कई प्रकार
ओजस्वी, वीर रस, हास्य रस,
श्रंगार रस, लिखता पढ़ता
जब उन्हें कविवर
कविता पढ़ना होता
ज्यादा महत्वतर
करती असर, लगती सुन्दर
मन भावन, जब होता
पठन लयवर
कविता जगाती देशभक्ति,
जगाती ईश्वर भक्ति
देती प्रेम प्यार की अनुभूति
भिन्न विषय करते
अपना अपना काम
कविता बनती, रचती
चलती अविराम
जब तक कवि ना दे
विचारों, शब्दों, लेखनी को विराम
जब तक रचयिता ना दे
शब्दों को, विचारों को विश्राम।