कवि और कविता
कवि और कविता
कवि और कविता का रिश्ता
कुछ इस तरह का है कि
कविता के होने से कवि है और
कवि के होने से कविता ।
कवि के हर साज़ पर एक
कविता निकलती है
कवि के हर एक अंदाज़ पर
कविता निकलती है
कवि रोता है तो आंसू की जगह
कविता निकलती है
कवि हंसता है तो मुस्कुराहट की जगह
कविता निकलती है
कवि व्यथित होता है तो दर्द की जगह
कविता निकलती है
कवि क्रोध में होता है तो असभ्यता की जगह
कविता निकलती है
और वहीं कवि जब प्रेम करता है तो
उसके प्रेम और प्रेयसी दोनों को पाने को
कविता निकलती है
और किंचित पाने में सफ़ल हो जाएं
तो उस प्रेम को निभाने के वास्ते फ़िर
इक नई कविता निकलती है....।
