कुण्डलिया : "कांशीराम"
कुण्डलिया : "कांशीराम"
ठाई अपणी साइकिल, छोड़ ऐश आराम।
बहुजन का करणे भला, चाले कांशीराम।
चाले कांशीराम, छोडकै पद सरकारी।
घूम नगर अर गाम, चेतना लाये भारी।
कहे भारती फेर, या सुत्ती कोम जगाई।
घर घर डोले खूब, साइकिल ऐसी ठाई।
ठाई अपणी साइकिल, छोड़ ऐश आराम।
बहुजन का करणे भला, चाले कांशीराम।
चाले कांशीराम, छोडकै पद सरकारी।
घूम नगर अर गाम, चेतना लाये भारी।
कहे भारती फेर, या सुत्ती कोम जगाई।
घर घर डोले खूब, साइकिल ऐसी ठाई।