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Gulshan Sharma

Inspirational

2.5  

Gulshan Sharma

Inspirational

मैं आऊंगा

मैं आऊंगा

1 min
500


आंसूं पलकों पे रुक जाता है,

दिल ही तो है, दुख जाता है,

कंधे हैं झुक जाते हैं,

कदम मेरे रुक जाते हैं,


कुछ हाथ हैं जो छूटे हैं,

कुछ वादे थे जो टूट गए,

कुछ आशाओं को दफ़नाया है,

कभी खूद को आधा पाया है

,

पर जीवन से मैं डरा नहीं,

मौन हूँ मैं मरा नहीं,

मैं बीज हूँ उपजाऊँगा,

तू सब्र तो कर मैं आऊंगा,


मैं कदमों से छू लूँगा अम्बर,

पर एक आग लगी है अंदर,

मैं आग ही बन जाऊंगा,

मैं खुद अम्बर हो जाऊंगा,


तू जाता है तो बेशक जा,

इन तीरगी के मेलों में,

रोशन झंडा लहराऊँगा,

तू सब्र तो कर मैं आऊंगा,

तू सब्र तो कर मैं आऊंगा।


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