महासमर
महासमर
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जीवन रूपी महासमर में, युद्ध बारंबार है
असफल रहे अब सफलता की दरकार है।
निराशा के भंवर में, उम्मीद का भंडार है
स्वयं को पहचान तू, पुरुषार्थ अपना जान तू।
सूर्य की अरुणाई है, झील सी गहराई तू
अभिमन्यु सा शौर्य छुपा है, विदुर सी चतुराई तू।
हिमालय जैसी दृढ़ता है, गंगा सा प्रवाह तू
एक अर्जुन है तेरे भीतर, स्वयं को पहचान तू।
भीष्म जैसी प्रतिज्ञा तेरी, भीम सा बलवान तू
त्याग चिंता पराजय की, कुरुक्षेत्र को प्रस्थान कर।
जीवन रूपी महासमर में, रणचंडी का आवाहन कर।