Kunwar Navneet Chandel
Abstract
नजरें मिलती है जब उससे,
चहुंओर शून्य नजर आता है।
निशब्द हो जाता हूँ,
वक्त थम सा जाता है।
उमड़ता है ज्वार
मेरे अन्तरमन में,
वो खूबसूरत चेहरा
नजर जब आता है।
देखकर उसको
मन मचल जाता है।
जीवन गाथा
जिन्दगी
वो सुन्दरता
महासमर
भारतवर्ष
सहयोग, सद्भावना की मेरी अपनी ही आदत से मेरा जीवन दुष्कर हो रहा है। सहयोग, सद्भावना की मेरी अपनी ही आदत से मेरा जीवन दुष्कर हो रहा है।
कभी मुग़लों के अरबी - फारसी तो कभी अंग्रेजों के अंग्रेजी से लड़ती रही। कभी मुग़लों के अरबी - फारसी तो कभी अंग्रेजों के अंग्रेजी से लड़ती रही।
काश वापस आ जाता फिर से, चिट्ठियों का वह पुराना दौर। काश वापस आ जाता फिर से, चिट्ठियों का वह पुराना दौर।
हम जिस समाज में पलते है, उसी की राह पर चलते है देखकर अपने गुरु जनों को, हम जिस समाज में पलते है, उसी की राह पर चलते है देखकर अपने गुरु जनों को,
त्रिशूल उठाकर हाथ में किया उन्होंने वार नन्हे गणेश का सर गिरा जंगल के पार त्रिशूल उठाकर हाथ में किया उन्होंने वार नन्हे गणेश का सर गिरा जंगल के पार
मुगल भी रह जाते थे अचंभित होकर देख वीर शिवाजी के युद्ध कौशल के ऐसे रंग मुगल भी रह जाते थे अचंभित होकर देख वीर शिवाजी के युद्ध कौशल के ऐसे रंग
जिंदगी न मेरी थी, न है और न ही हो सकती है उसने जब चाहा मुझे संसार में भेजा दिया था जिंदगी न मेरी थी, न है और न ही हो सकती है उसने जब चाहा मुझे संसार में भेजा दि...
“पुनरपि जननं ,पुनरपि मरणं” शायद यही है नियति और पुनरावृत्ति॥ “पुनरपि जननं ,पुनरपि मरणं” शायद यही है नियति और पुनरावृत्ति॥
काल के गाल में ना समा जाए सब कुछ, काल के गाल में ना समा जाए सब कुछ,
बढ़ गए लोग अनसुना कर, और रहा चीखता सन्नाटा। बढ़ गए लोग अनसुना कर, और रहा चीखता सन्नाटा।
हमें हमारी खूबियों से हमारा परिचय करवाकर हमारे दोष निकालकर भविष्य के लिए तैयार करते ह हमें हमारी खूबियों से हमारा परिचय करवाकर हमारे दोष निकालकर भविष्य के लिए तैय...
जुड़े हुए दिल के तार हमारे ए दोस्त, तू दूर होकर भी पास, जुड़े हुए दिल के तार हमारे ए दोस्त, तू दूर होकर भी पास,
राम इतना बहे, राम मन हो गये राम वन जो गये, राम ही हो गये राम इतना बहे, राम मन हो गये राम वन जो गये, राम ही हो गये
स्त्री पर लिखी पुस्तकों को जमीन पर आने की स्त्री पर लिखी पुस्तकों को जमीन पर आने की
प्रलय तो तब भी नहीं आया जब एक मां के सामने उसके बच्चों की बलि दे दी गई प्रलय तो तब भी नहीं आया जब एक मां के सामने उसके बच्चों की बलि दे दी गई
तन कर खड़े थे जो कल टूट गए हैं, उन के साथी पत्ते भी उनसे छूट गए हैं, तन कर खड़े थे जो कल टूट गए हैं, उन के साथी पत्ते भी उनसे छूट गए हैं,
कार्य आजादी से किया कहीं कोई बंदिश नहीं कहीं कोई दीवार नहीं इसी को कहते हैं आजादी कार्य आजादी से किया कहीं कोई बंदिश नहीं कहीं कोई दीवार नहीं इसी को कहते...
पर देश विरोधी मानसिकता का शिकार हो घायल भी हो रहा है। पर देश विरोधी मानसिकता का शिकार हो घायल भी हो रहा है।
वर्तमान से वक्त बचा लो तुम निज के निर्माण में। वर्तमान से वक्त बचा लो तुम निज के निर्माण में।
किंतु आ जाए कोई भी मुसीबत तो एक दूजे की रक्षा को रहते तैयार किंतु आ जाए कोई भी मुसीबत तो एक दूजे की रक्षा को रहते तैयार