कुण्डलिया : "गुरु साहेब"
कुण्डलिया : "गुरु साहेब"
होती गुरु साहेब की, पदवी सबसे ठेल।
गुरु ही सच्चे ज्ञान से, करवा सकता मेल।
करवा सकता मेल, दूर कर विपदा सारी।
फैला रहा प्रकाश, ज्ञान की महिमा न्यारी।
कहे भारती देख, गुरु के बोल हो मोती।
चुग प्यारे गुर बोल, सम्पदा न्यारी होती।
