कुंडलिया : "पेड़"
कुंडलिया : "पेड़"
सदा हिमाती पेड़ हो, क्यूं बणरा अंजान।
मतना काटै पेड़ नै, सोच समझ इंसान।
सोच समझ इंसान, पेड़ सच्चे निर्माता।
आक्सीजन की खान, पेड़ सै जीवनदाता।
देवै ये फल फूल, पेड़ सै सच्चे साथी।
राखै सबका ख्याल, बनै ये सदा हिमाती।