कुछ तो बोलो
कुछ तो बोलो
बात क्या है,
सच सच बता दो
प्यार है गर गुनाह,
तो मुझको सजा दो।
लौटकर न आऊँगा फिर,
तेरी गलियों मेंं।
हो गर दिल में कोई बात,
तो खुलकर बता दो।
बात क्या है...!
प्यार को बेवफाई
में से घटा दो।
रह गई हो नफरत
तो मुझको बता दो।
जो होगा हासिल,
वही होगा मुकद्दर अपना।
आशिक हूँ यूँ न
बेवजह तड़पाकर सजा दो।
बात क्या है...!
कहीं मिलता हो ज़हर,
तो लिखकर पता दो।
मरने वाले हैं हम,
सारे जग को बता दो।
कर सके बयांं,
हमारी बातों को आपसे।
ऐ खुदा मेरे महबूब को,
ऐसी ज़ुबां दो।
बात क्या है...!