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Indu Kothari

Romance

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Indu Kothari

Romance

कुछ पल

कुछ पल

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करती वह वसुधा का श्रृंगार 

पहन आकंठ फूलों का हार

तन पर धानी , वसन डार

सज धज बैठ,करती इंतजार ।।

फिर हौले से मंद मुस्कुराई बयार

चुपके से लाई संदेश, चमन का

संस्मित वदन , सकुचाया मन

अलसाया तन ,थके नयन ।।

नयी डगर , अब नया सफर

होगा कैसा ? नव जीवन

थी मची, हिय में उथल-पुथल 

चलना होगा बहुत संभल- संभल

तभी सुकून से बीतेंगे कुछ पल ।।

लेकिन वह नवेली, थी अकेली

गुलों गुलबदन सी हुई चमेली

सुलझा न पायी , अबूझ पहेली 

होगा कैसा? वह आने वाला कल

क्या सुकून दे पायेंगे वो पल ।।

   



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