कुछ नवल
कुछ नवल
जीने की उम्मीद जागकर,
जीवनदाता चला गया
सुख से चित्त रचने वाला वो,
भाग्यविधाता चला गया
हे प्रभु! तेरी ही माया है
वो जायगा जो आया है
हे इंसां! सुधरेगा तू कब
संचित लेखा जोखा सब
रही करनी जिसकी जैसी
वही अब उसने पाया है..
फाग रंगों में रंगे मुरारी
सँग राधिका गोपी सारी
हवा रंगी है घुला नशा भंग
झूमे नाचे मारे पिचकारी।

