STORYMIRROR

अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Romance Classics Crime

4  

अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

Romance Classics Crime

कुछ नवल

कुछ नवल

1 min
200

जीने की उम्मीद जागकर,

जीवनदाता चला गया

सुख से चित्त रचने वाला वो,

भाग्यविधाता चला गया


हे प्रभु! तेरी ही माया है

वो जायगा जो आया है

हे इंसां! सुधरेगा तू कब 

संचित लेखा जोखा सब

रही करनी जिसकी जैसी

वही अब उसने पाया है..


 फाग रंगों में रंगे मुरारी

सँग राधिका गोपी सारी

हवा रंगी है घुला नशा भंग 

झूमे नाचे मारे पिचकारी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance