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SIJI GOPAL

Abstract

4.6  

SIJI GOPAL

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कुछ चाय सी है मेरी ये जिंदगी

कुछ चाय सी है मेरी ये जिंदगी

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कुछ चाय सी है मेरी ये जिंदगी....


कभी नादान अदरक से सजी,

कभी चुलबुली इलायची में मिली,

कभी बचपन की आंच में पकती,

कुछ मसालेदार है मेरी ये जिंदगी !

कुछ चाय सी है मेरी ये जिंदगी।


कुछ गहरी, जोश में ढली,

कुछ भांप बन उंचाई छूती,

कुछ उबलती जवानी सी,

कुछ उफ़ान भरी है मेरी ये जिंदगी !

कुछ चाय सी है मेरी ये जिंदगी।


कभी मीठे रिश्तों के अभाव में,

कभी साथी चायपत्ती के वियोग में,

कभी अपने रंग को ढूंढती वृद्धत्व में,

कुछ फीकी सी है मेरी ये जिंदगी !

कुछ चाय सी है मेरी ये जिंदगी।


कुछ चुस्कियां, यादों की कैदी हैं,

कुछ निश्चल, प्याली में लेटी है,

कुछ मौत सी काली हुई पड़ी है,

कुछ ठंडी सी है मेरी ये जिंदगी !

कुछ चाय सी है मेरी ये जिंदगी।


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