कुछ बोलो ना
कुछ बोलो ना
गुमसुम क्यों हो कुछ बोलो ना।
राज़-ए-दिल अपना खोलो ना।
हर एक का अपना हुनर होता,
औरों से ख़ुद को तोलो ना।
कब तक रहोगे आँसू छुपाए,
खुल कर अब तुम तो रो लो ना।
क्यूँ ढूँढ़ते रहते हो यह - वह,
ख़ुशी अपने अंदर टटोलो ना।
ये पल फिर वापस नहीं आएंगे,
जी भर इन लम्हों को जी लो ना।