कठपुतली
कठपुतली
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अब तक अपनों के हाथों की
कठपुतली ही तो थी,
जैसे नचाते थे वो
खुशी के लिए उनकी
वैसे ही नाचती थी।
जब मर्जी अपनी चलाने लगी
उनका अहम आड़े आया,
तोड़ मरोड़ दूर फेंक दी गई
तभी मैंने खुद से
पहला कदम उठाया।
अब तक अपनों के हाथों की
कठपुतली ही तो थी,
जैसे नचाते थे वो
खुशी के लिए उनकी
वैसे ही नाचती थी।
जब मर्जी अपनी चलाने लगी
उनका अहम आड़े आया,
तोड़ मरोड़ दूर फेंक दी गई
तभी मैंने खुद से
पहला कदम उठाया।