मां
मां
हर बेटे के जीवन की ज्योति
जैसे चमकता हीरा और मोती
सातो समंदर की स्याही,
मां के गुणगान में,
कम पड़ जाती है,भाई
मां शब्द में है, इतनी गहराई
सारी कायनात इसमे है,समाई
सब संत, ऋषि, ज्ञानी कहते है
मां को वो सब ख़ुदा कहते है
सब तीर्थ करना छोड़ दो
मां की ओर तुम दौड़ लो
मां को तुमने गर खुश कर लिया
समझो मुक्ति का काम कर लिया।
