क्षोभ
क्षोभ
तौलिए से सर ढँक
दुपट्टे का आवरण चढ़ा
मास्क लगा, चश्मा पहन
केहुनी तक दस्ताने मढ़ा।
देवरानी को बताई बाजार जाने का हुलिया
उसने कहा याद दिला गया
सबसे ज्यादा आपने ही घूँघट किया।
ट्रेन में हम चलते थे तो जेठ जी को
दूसरे डिब्बे का टिकट कटवाने का आदेश मिलता।
वर्ष गुजर जाते हैं यादें क्यों नहीं मिट जाता।