कसम
कसम
तुम्हारी आँखों के नदियों को यूँ न बहने दूंगा,
सागर हूँ, जरूरत पड़े तो खुद में समेट लूंगा
दूंगा अपना नाम तुझे, बेनाम न होने दूंगा,
भले खुद बदनाम हो जाऊं, तुझे बदनाम न होने दूंगा
कभी भी ग़म को तेरे करीब आने न दूंगा,
तेरे पास जाने से पहले, उसकी अच्छी खबर लूंगा
सुर्ख होठो से तेरे मुस्कुराहट मिटने न दूंगा,
तेरी नादानियों को हँसते-हँसते सह लूंगा
माँग कर देखना कभी, जान भी हाज़िर कर दूंगा,
जरूरत पड़े तो, तेरे खातिर जान भी ले लूंगा
बाजुओं में तुझको छिपा लूं, गैरों को छूने न दूंगा,
इबादत हो मेरी तुम, खुद को तुझमें ही जी लूंगा