कसक
कसक
आंसू की बूंदों में हमने
अपने सजे अरमानों को बहाया ,
तेरी यादों के साए में हमने
हरपल अपनी नजरो को था चुराया ।
फिर भी जाने क्यों मेरी ख्वाबो में
हरपल तुम ही आ जाते हो ,
मेरे सीने में एक कसक बनकर
तुम जाने क्यों छा जाते हो ।

