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Farha Yashmin

Tragedy Inspirational

4  

Farha Yashmin

Tragedy Inspirational

कश्मकश

कश्मकश

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जिंदगी भी कुछ अजीब सी है,

हम अपने सपनों की उड़ान भरने निकल तो चुके हैं,

अंजाने चेहरों के बीच खुद की पहचान बना चुके हैं।


पहले भीड में रहने की चाह में लोगों से मिलते थे,

अभी शहर की भीड़ में अकेलेपन में तरसते हैं।

बिना किए वक्त की कोई फिक्र अपने मौज में रहते हैं,

आज बेवक्त भी किसी के वक्त के लिए तरसते हैं।


पहले मुस्कान में भी गम को छुपा लिया करते थे,

अभी फिराक जटाने में अंजाने चेहरों पर मुस्कान ढूंढते हैं।


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