फरहा
फरहा
इस मुस्कराहट के पीछे का राज़ न पूछो,
कई अनकही किस्सों का सुहाना कारवां है।
हुस्नबाज़ी के सैलाब से उठी ख्वाइशों का रंग गहरा है,
अंधेरों में चमकती उन नज़रों का नया ही ठिकाना हैं,
ज़माने से बेपरवाह खुद में घुलती रूह का अलग ही अफसाना है।
खुशमिज़ाज़ मौसम की धूप का लम्बा सफरनामा है,
अपने कल्पनाओं में ओझल मेरा नाम फरहा है।