कृपा....
कृपा....
प्रभु! आपकी कृपा से
मैंने ये जीवन पाया है
मैं हारने लगा हूं जब भी
नयनों से नीर उमड़ आया है
तेरा साथ मुझे मिला जब
बाधाओं से लड़ पाया हूं
पाया नया संचार जीवन में
सफलता की राह चुन पाया हूं
देना सदा आशीष प्रभु
सम्मान का भागीदार बनूं
मैं दास तुम्हारे चरणों का
तुम्हारी भक्ति का पहरेदार बनूं
कभी भ्रमित यदि हो जाऊं तो
हाथ मेरा तुम यूं थाम लेना
तेरा ही वंदन करते जाऊं
नव ज्ञान, नव प्रकाश देना।