करनी का फल
करनी का फल
हम भारतवासी हैं आर्य हैं पहाड़वासी हैं
ग्रामीण हैं आदिवासी हैं
जो मानते हैं धरती को ईजा (माँ) सम्मान करते हैं उसकी रक्षा करते हैं
उसकी अपनी ज्यूनि (जान) से भी बढ़कर फल-फूल, पेड़-पत्ती, चिड़िया, जानवर
सब पूज्य हैं हमारे दगड़ू (मित्र) हैं हमारे
आधुनिकता की होड़ में विज्ञान की दौड़ में हम हो गये हैं अप्राकृतिक
चले गए हैं दूर अपनी माटी से अपनी ईजा से अपनी प्रकृति से
कर रहे हैं हत्या ईजा के चेलों की चेलियों की
फिर भुगत रहे हैं अपनी करनी का फल
कभी भूकंप के रूप में तो कभी कोरोना के रूप में।