STORYMIRROR

Anjali Pundir

Inspirational

4  

Anjali Pundir

Inspirational

कर्म-दीप

कर्म-दीप

1 min
762

घना निविड़ अंधकार...

भयंकर तूफान...

चहुँ ओर घटाघोप...

हाथ को हाथ न था सूझता...

कहाँ जाएँ...?

कोई पथ नहीं...

आशा की .....

नन्ही किरण तक नहीं....

चहुँ दिश हा हा कार.....

हा ! प्रचंड तूफान.....

सहसा.....

उम्मीद की

धीमी आहट सा....

दू.......र

दूर.....टिमटिमाता वो नन्हा दीप

विकराल तूफान में

मानो नवजीवन का

संदेश था........

तूफान धारण किये

भयावह रूप

कर्म-दीप बुझाने हेतु

कटिबद्ध सा

चला आ रहा था......

बढ़ा आ रहा था......

और.......उधर..........

फल की इच्छा से

अनभिज्ञ दीप

कर्म के ज्वलंत रूप सा

मानव-पथ आलोकित

कर रहा था......

तूफान अपनी कामना

दिल ही में लिए

हो गया विलीन

उसी अंधकार में

बिखेर रहा था नन्हा दीप

अभी भी......

अपने सुनहले कर्म की

निर्मल रश्मियाँ..............


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational