क्रिकेट
क्रिकेट
मैं छोटा था,
बहुत छोटा था
दिल से बड़ा मासूम
खेल खेल मे एक दिन
बल्ला मैंने उठा लिया
एक बार खेल की लत मे
क्रिकेट से दिल लगा लिया
मैं गेंद को देखकर
बड़ी ज़ोर लगता था
बल्ले से मार कर उसे
सीमा पार पहूंचता था
तब तक मैंने इस खेल को
अच्छे से जाना भी ना था
एक दिन ये मेरा जीवन होगा
मैंने ये ठाना भी न था
दौड़ लगाकर गेंद फेंकना
मैंने मेहनत से सिखा था
उतने ही लगन से मैंने
बल्ला घुमाना सिखा था
तब तक मुझको ज्ञान ना था
इस खेल मे मेरा नाम न था
यूं तो बहुत पुराना है ये
पर इसका भी कोई मुकाम न था
उसी समय एक अवतार हुआ
खेल सीमाओं के पार हुआ
छोटे कद वाले बालक के
हांथों से इसका तब उद्धार हुआ
गोरों ने जिसको जन्म दिया
कालों ने जिसपर राज़ किया
भारत के एक लाल ने कैसे
दंभ सभी का दहन किया
उसके मैदान पर आते ही
माहौल नया बन जाता था
उसके वापस जाने से ही
टीवी बंद हो जाता था
मैंने उसको देख कर ठाना
बस उस सा ही बनना था
चाहे आगे जो भी हो जाए
बस ये सपना ही बुनना था
बस इसको ही जीवन माना
एक ही लक्ष्य है इसको पाना
चाहे जितनी मुश्किल आए
बिना थके है मंजिल पाना
खूब पिटा मैं बाबूजी से
पर बाजना आया अपने लतसे
ये बात बताई माता जी से
साथ मिला मुझको बस उसीसे
मेहनतकी पसीना बहाया
क्रिकेटर बनकर दिखलाया
आज जब लोग आदर करते
बाबूजी भी गर्व है करते
धन्यवाद हे क्रिकेटेश्वर
साहस दिया है तुमने भर कर
आज जहां भी मैं पहूंच हूँ पाया
सब है तुम्हारे खेल की माया।
