कफ़न तिरंगे का
कफ़न तिरंगे का
कफन तिरंगे का गर मिल जाए, तो जीवन कुर्बान है,
ये देश है मां बाप हमारा, हम इस की ही संतान हैं।
कंचनजंगा की चोटी पर चढ़, करते हम ये ऐलान हैं,
ना नजर गड़ाओ तुम पैगाॅन्ग पे, ये हमारी पहचान है।
सुन लो ओ चीनी पाकी, रखो शांति तो हम महान हैं,
वरना प्रत्युत्तर देने को, भारत सक्षम और बलवान हैं।
सदियों की ये नीति हमारी, ना करते प्रथम प्रहार हैं,
देना दूजा अवसर अरि को, हमको तो अस्वीकार है।
याद है वो सन बासठ भी, जब पीठ पे चाकू घोंपा था,
हमने हिंदी चीनी भाई औ, पंचशील का पौधा रोपा था।
नहीं रहा अब ये वो भारत, जो ना समझे मक्कारी को,
ना भूले हैं ना हम भूलेंगे, तेरी उस घटिया गद्दारी को।
ना परखो सहनशक्ति हमारी, ये भारतजन की हुंकार है।
युद्ध है गर परिणति तो हम, अब इसमें भी फनकार हैं।
समय रहते संभलो तुम, अब चेतावनी ये अंतिम बार है,
इक्कीसवीं सदी का है भारत, ये हर मन की ललकार है।