कोरोना
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जिंदगी की जद्दोजहत
ज्यों थम सी गई,
सिमट गई जरूरते
ना बेतहाशा ख्वाहिशे रही
सीख लिया गुर हमने
कम साधनों में खुश रहना,
देना दुसरो को
उनकी मुस्कराहटो में खुश रहना
घर आजकल बड़ा महसूस होता है
कितना वक्त है सुनने का सभी को,
सभी से कुछ सुनना बड़ा सुकून देता है
वो भागमभाग, वो दौड़ अनंत सी
थम गए पहिये सभी, ये मौन सुकून देता है,
चमचमाती नदिया, चहकते पंछी
साफ सुथरा सा मौसम...
ये प्यारा रूप प्रकृति का बड़ा सुकून देता है
पर खौफ भी है आँखों में,
मौत का है डर सताया,
मनचाहा मोड़ प्रकृति को
हम बलशाली बनते थे
हम कुछ भी नहीं
अहसास सूक्ष्म जीव ने कराया
सूक्ष्मता संक्षिप्त में ये ही है समझाती,
सीमा में रहना, ही सुरक्षित
यही है खुशियों की चाबी
यही है खुशियों की चाबी।