कोरोना
कोरोना
है मशहूर बड़ा
पर कोई न करता इससे प्यार,
ना कोई रूप, ना कोई रंग
जाने जिंदा है या मुर्दा!
फैला है हर तरफ महामारी बनकर
हवा और पानी है साथी जिसके,
बन बैठा है एक राजा
डरती है जिसके नाम से प्रजा।
जाने कहाँ से आया है
जाने कितने जान ले गया,
डर का साम्राज्य बनाकर
बस गया सबके अंदर।
जाने कब वो वक़्त आएगा
जब जाएगा ये कुरु राजा हमसे दूर,
लेकर अपने डर को जाने कहाँ जाएगा
बस आशा है कि वो वक़्त जल्दी ही आएगा।