जिंदगी की सच्चाई
जिंदगी की सच्चाई
अपनी कमियों को क्यों छुपाता है
दूसरो को देख कर खुद को नीचा क्यों दिखाता है,
कभी तो खुद को अपना के देख
दुसरो से खुद को अलग रखके तो देख।
डर - डर के क्यों रहता है
मर - मर के क्यों जीता है,
दुखों के बारे में सोच कर
खुशियों को तू क्यों गँवाता है।
दुसरो की खुशियों से क्यों जलता है
कभी तो खुद की कामयाबी पर खुश हो,
यह जिंदगी मिली है बड़ी मुश्किल से
कभी तो इसे खुलकर जी लो।