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MANGAL KUMAR JAIN

Tragedy

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MANGAL KUMAR JAIN

Tragedy

कोरोना शहर में बढ़ रहा है

कोरोना शहर में बढ़ रहा है

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सुना है, कोरोना शहर में बढ़ रहा है ।

कोई किसी की नहीं सुन रहा है ।

जिधर चाहे उधर, व्यक्ति निडर हो

मास्क लगाए बिना घूम रहा है ।। 


बसों में भीड़ बढ़ रही है ।

रेलवे में भीड़ बढ़ रही है ।

हवाई जहाज में भी देख लो,

भीड़ कम नहीं हो रही है।।


सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ रही है।

दो गज दूरी की बातें हवा में उड़ रही है।

पहले कोरोना को हल्के में ले रही जनता,  

पॉजिटिव आने पर डॉक्टरों से लड़ रही।।


सेनीटाइजर लगाना तो भूल रहे हैं ।

मास्क हाथ में लटकाए झूल रहे हैं ।

कुछ लोग मास्क गर्दन में लटकाए,  

बाजार में क्यूं बेधड़क डोल रहे हैं ।। 


कह रहे है, सरकार ने पेनल्टी लगा दी।

नाहक ही आने-जाने पर रोक लगा दी।

कहते हुए शादियों में मजा ले रहे हैं,

बेखौफ हो अपने आसपास मौत मंगा दी।


एक दूसरे से गले मिल रहे हैं।

पकड़-पकड़ हाथ मल रहे हैं।

कोरोना वॉरियर्स बेचारे क्या करें,

कितना भी टाले, नहीं टल रहे हैं।।


कोरोना की परेशानी समझ में नहीं आ रही।            

जिसको हुआ उसको नानी याद आ रही।

कई के कमाऊ पूत चले गए, जीवन से हाथ धो गए,

पड़ोसी से भी रोने-धोने की आवाज आ रही ।।


चाट-पकौड़ी, इडली, दही-बड़े, समोसा।

खा लेंगे ये सब-कुछ, जो भी इन्हें परोसा।

नहीं देखेंगे, कहां बना है? कैसे बना है?               

क्योंकि, उनको है अपने ईश्वर पर भरोसा।।


जिनके घर में डॉक्टर थे, उनसे भी कुछ नहीं बन पड़ी।

जो खुद डॉक्टर थे, उन पर भी ये आफत आन पड़ी।

सारे प्रयास धरे के धरे रह गए, कुछ नहीं कर पाए,

घर का कोई पास न आ सका, समस्याओं की दीवार आन पड़ी ।।


इसलिए कोरोना शहर में बढ़ रहा है।

फिर भी किसी की कोई नहीं सुन रहा है।

जनता को, जनता की ही कुछ नहीं पड़ी है,

आदमी, आदमी की ही नहीं सुन रहा है।।


इसलिए शहर में कोरोना बढ़ रहा है ।

सुना है शहर में कोरोना बढ़ रहा है।

संभल जाओ मेरे नादान इंसानों,

बाजार खाली करो, कोरोना आगे बढ़ रहा है।।



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