कोरोना महामारी
कोरोना महामारी
है ये ऐसी महामारी जिसने बदल दी है ये दुनिया सारी ,
किसी को पहुंचाया शिखर पर- किसी को पहुंचाया शिखर पर,
तो किसी की छीनी खुशियाँ सारी,
ऐसी है ये कोरोना महामारी ऐसी है ये कोरोना महामारी।
जब जब मानव ने की प्रकृति से छेड़छाड़,
तब तब प्रकृति ने दिखाया रूप विकराल।
पर यह मानव की जिज्ञासु प्रवृत्ति,
लाती है कभी जीवन में प्रगति तो कभी दुर्गति।
कोरोना ने किया सबको बड़ा परेशान,
किसी को किया पराया ,
तो मानो पीड़ित ना आँखों देखा सुहाया,
होता कोमल भावनाओ का टूटा नज़ारा।
कभी किया रिश्तों को तारतार बस
लगता प्यारा बस अपने जीवन का सितारा।
हाय रे हाय ये कैसी महामारी,
कर गयी मनो की प्रीत पराई,
आयी ये कैसी दुःखद घड़ी आई।
पर समय का काँटा चलता अपनी धार से,
समय ना ठहरा कभी किसी से।
फिर मानव भी प्रकृति की ऐसी माया,
जो खेले इसी की गोद मे ओर गाये भी यही तराना।
जब बिन कोरोना भी है दुनिया से जाना,
तो किस बात का है याहाँ रोना,
ये तो बस है कोरोना, ये तो बस है कोरोना।