कोख
कोख
मुझे उगने दो
उस कोख में
जहाँ लाल की
इच्छा करते हैं !
मुझ जैसी के
हो जाने पर
उस कोख को
गाली देते है!
मुझे दोने में
प्यार परोसना
उतने में ही
जी लूंगी माँ!
एक बार आने
दो मुझको
मैं तेरा मान
बढ़ाऊगी!
जीने की उम्मीद
नहीं फिर भी
कुछ कर के
दिखलाऊंगी!
बढ़ चल कर
दिखलाऊंगी
उस पथ पर
जिस पर लाल
चलने से डरते है!
मुझे उगने दो
उस कोख में
जहाँ लाल की
इच्छा करते है!