कोख से संसार तक बचे बेटी
कोख से संसार तक बचे बेटी
भगवान कि सबसे अद्भुत कल्पना है बेटी
तो फिर क्यूँ इस दुनिया पर बोझ है बेटी...
अगर घर का चिराग है बेटा
तो उस चिराग कि लो है बेटी
घर कि शान है बेटा
तो घर की रौनक है बेटी
स्वाभीमान है बेटा
तो अभीमान है बेटी
अगर सपना है बेटा
तो अपनी है बेटी
परिवार का तारनहार है बेटा
तो दो परिवारो का मेल है बेटी
बुढ़ापे का सहारा है बेटा
तो हक़ीक़त की लाठी है बेटी
ख़ुशियों की चाभी है बेटी
रंगो की पहचान है बेटी.....
एक माँ है बेटी, एक बहन है बेटी
एक बहू है बेटी तो एक सास भी है बेटी
आने वाले वंश को जन्म देती है बेटी
तो फिर कोख मे क्यूँ बचे ना बेटी .....
बेटी बोझ नहीं , भविष्य है
हमारा आने वाला कल है
बेटी से ही राहत है, जज्बात है
सांस है , अहसास है ....
एक बेटी भी तुमसे ही बनी है
तुम्हारा ही अंश है
तुम्हारा ही खुन है
तुम्हारा ही हिस्सा है ....
अपने इस हिस्से को अपने से अलग
मत किजीये
विनती है आपसे भ्रूण हत्या
मत किजीये
कोख मे पल रही मासूम कली को मत
रोंदिये
ससम्मान इस दुनिया मे उसे पहचान
दिजीये ..