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नारी के पैर में ही क्यूँ बेड़ियाँ पड़ी नारी क्यूँ नहीं हो सकती अकेली खड़ी... नारी के पैर में ही क्यूँ बेड़ियाँ पड़ी नारी क्यूँ नहीं हो सकती अकेली खड़ी.....
तुम्हारी हमारी मुलाकातों पर, समय थम सा गया हो जैसा....। तुम्हारी हमारी मुलाकातों पर, समय थम सा गया हो जैसा....।
वो रोज की शैतानियाँ वो जिद वो नादानियाँ, वो प्यारे से सपने वो सपनों में अपने। आज भी याद हैे ....... वो रोज की शैतानियाँ वो जिद वो नादानियाँ, वो प्यारे से सपने वो सपनों में अपने।...
अपने इस हिस्से को अपने से अलग मत किजीये विनती है आपसे भ्रूण हत्या मत किजीये कोख मे पल रही मासूम... अपने इस हिस्से को अपने से अलग मत किजीये विनती है आपसे भ्रूण हत्या मत किजीये ...