कोई वजह नहीं
कोई वजह नहीं
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तुम्हारी याद आने की ,
कोई वजह नहीं ,
बस दिल ने की शरारत ,
और मिली सजा यहीं |
यूँ तो अक्सर अकेले में ,
मुस्कान दिखती तेरे साथ की ,
पर छुप जाती है वो भी ,
जब चलती हवा कहीं |
कैसे बतायें दुनिया को ,
कि अपना भी है कोई किस्सा ,
वो समझेगी हमे गलत ,
जो नहीं होगा सही |
दिल बर्बाद सा ये रोज ,
करता तेरी मुरीद ,
कभी तन्हाईयों का करे इंतजार ,
कभी सपनो में ही सही |
इश्क आज भी अपना ,
मरा नहीं देखो ,
ये जलता है अक्सर रात में ,
जब चिंगारी भड़के यहीं ||