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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

कोई तो तुम्हारा पता बताए

कोई तो तुम्हारा पता बताए

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कहाँ ओझल हो गई आँखों से ?

न जाने कब गुम हो गई बातों ही बातों से ?

कुछ तो अपने बारे में दो थाह बताए !

कोई तो तुझ तक पहुँचने का पता बताए!

किस हाल में ! मैं जी रहा हूँ तेरे बिन, 

जैसे पानी बिन तड़प- तड़प कर मर जाती है मीन !

आखिर गलती क्या थी मेरी ?

एकबार भी आकर तो तुम मेरी दो खत़ा बताए !

कोई तो तुम्हारा पता बताए!

क्या हो गया हमसफ़र बन एक- दूसरे का अंतिम साँस तक साथ निभाने के वादों का ?

क्या हो गया संग जीने- मरने के रस्मों- कसमों का ?

कुछ तो अपने बारे में तुम दो थाह बताए!

कोई तो तुझ तक पहुँचने का राह बताए !

चाहत क्या थी आखिर तेरी ?

एकबार भी तो तुम दो अपनी चाह बताए?

दुनिया हम क्या ही पुछे तुम खुद ही दो अपना राह बताए?

कोई इस कदर रूठता है अपनों से !

अब मान भी जाओ नटखट!

अपनी भूल सुधारने का एक बार हमें दो सजा बताए !

कोई तो मुझे मेरा खता बताए!

कोई तो तुम्हारा पता बताए!


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