कोई तो तुम्हारा पता बताए
कोई तो तुम्हारा पता बताए
कहाँ ओझल हो गई आँखों से ?
न जाने कब गुम हो गई बातों ही बातों से ?
कुछ तो अपने बारे में दो थाह बताए !
कोई तो तुझ तक पहुँचने का पता बताए!
किस हाल में ! मैं जी रहा हूँ तेरे बिन,
जैसे पानी बिन तड़प- तड़प कर मर जाती है मीन !
आखिर गलती क्या थी मेरी ?
एकबार भी आकर तो तुम मेरी दो खत़ा बताए !
कोई तो तुम्हारा पता बताए!
क्या हो गया हमसफ़र बन एक- दूसरे का अंतिम साँस तक साथ निभाने के वादों का ?
क्या हो गया संग जीने- मरने के रस्मों- कसमों का ?
कुछ तो अपने बारे में तुम दो थाह बताए!
कोई तो तुझ तक पहुँचने का राह बताए !
चाहत क्या थी आखिर तेरी ?
एकबार भी तो तुम दो अपनी चाह बताए?
दुनिया हम क्या ही पुछे तुम खुद ही दो अपना राह बताए?
कोई इस कदर रूठता है अपनों से !
अब मान भी जाओ नटखट!
अपनी भूल सुधारने का एक बार हमें दो सजा बताए !
कोई तो मुझे मेरा खता बताए!
कोई तो तुम्हारा पता बताए!
