कोई शक
कोई शक
कोई मुझ पर शक करने लगा है
बेवजह ही वो मुझे छलने लगा है,
अब दिल ने हंसना छोड़ दिया है
कोई बेवजह ही झगड़ने लगा है,
आंसू भी उससे अब डरने लगें है
कोई दरिया आंसू पीने लगा है,
अब कहाँ हम जाये,
कैसे खुद को हंसाये?
कोई जान से ज़्यादा सताने लगा है
रूह भी मेरी रोशनी खो चुकी है,
कोई चरागों को बुझाने लगा है
कोई मुझ पर शक करने लगा है।